दोस्तो आज के भागमभाग वाले जीवन में वर्क लाइफ बैलेंस को मेनटेन करते हुए पेरेंटिंग यानी बच्चों को संभालना मुश्किल काम शायद ही कोई हो। आप किसी से पूछ लो कि बच्चों को संभालना उन्हें हेल्दी रखना कितना आसान है तो पैरंट अपना सर पकड़ लेंगे। बोलेंगे बहौत तफ़ है।।
हाल ये है कि मां बाप दादा दादी नाना नानी और मैद मिलकर भी बच्चों का ध्यान रखने में फेल है। लिहाजा ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 के अनुसार कमजोर बच्चों के मामले में भारत का स्थान 117 देशों की सूची में 102 है। इतना ही नहीं भारत में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं था।
पहले के दौर में बच्चों को लेकर मां बाप ज्यादा नहीं लेते थे
पहले के दौर में बच्चों को लेकर मां बाप ज्यादा नहीं लेते थे
क्योंकि उस समय उन्हें ऐसा माहौल मिलता था कि वो हेल्दी और फिट रहते थे। ना आखो पर मोटे चश्मे चौड़े थे और ना ही कुपोषण की कोई समस्या थी। दरअसल पहले के बच्चों का आहार और व्यवहार बहुत शानदार था जो दिखाते थे। घर का बना शुद्ध और पौष्टिक आहार होता था और दिन भर तेज धूप व बारिश में खूब खेलते थे ना कभी बीमार पड़ते थे
ना ही चोट का डर था और सबसे खास बात ये कि तब आज की तरह प्रदूषण का जहर नहीं था तब के बच्चे मेंटली और फिजिकली फिट रहते थे कि तब के पेरेंट्स को उन्हें किसी भी तरह का एक्स्ट्रा पोषण यानी फूड सप्लीमेंट या प्रोटीन पाउडर देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। लेकिन आजकल के बच्चों की लाइफस्टाइल पूरी तरह से बदल चुकी। अब बच्चे अपने अभिभावकों के साथ कमरे में सिमट गए हैं।
धूप बारिश बर्दाश्त नहीं कर पा रहे खाने के नाम पर उनकी पसंद सिर्फ जंक फूड है और बाहर खेलने निकलते हैं तो मिलता है प्रदूषित हवा का ज़हेर। यानी खेलकूद और मनोरंजन के नाम पर टीवी इंटरनेट कंप्यूटर और मोबाइल गेम्स ही हैं उनके पास इस तरह मिलावटी खाने बढ़ते प्रदूषण और बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल के चलते आजकल के बच्चे न तो मंथली रो पा रहे हैं और न ही फिजिकली।
इसलिए आज उन्हे छोटी सी उम्र में ही वीक इम्युनिटी आंखों में कमजोरी थकान लो आईक्यू सांस व दिल संबंधी रोग वीक मेमोरी और अधूरी ग्रोथ जैसी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। दोस्तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यूनिसेफ के रैपिड सर्वे ऑफ चिल्ड्रेन 2013-2014 के मुताबिक कुपोषण के मामले में भारत ब्राजील से 2.2 फीसदी चीन से 3.4 फीसदी एवं साउथ अफ्रीका से 8.1 एक फीसदी पीछे है।
एक अन्य मेडिकल स्टडी के अनुसार भारत में ज्यादातर बच्चों में आयरन आयोडीन विटामिन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है तो चाइल्ड इन मेडिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि बच्चों को सही न्यूट्रीशन मिलने से उनकी इम्यूनिटी बढ़ती है।
इसीलिए पैरंट्स के सामने बच्चों को विटामिन्स प्रोटीन्स मिनरल्स और दूसरे पौष्टिक तत्वों से भरे फूड सप्लीमेंट देना मजबूरी है और आवश्यकता भी क्योंकि जब बच्चों को सही पोषण मिलेगा तभी उनका मानसिक व शारीरिक विकास ठीक से होगा और वही बच्चे बड़े होकर अपने शार्प माइल स्टोन बॉडी एनर्जी के बल पर कामयाब होंगे। अब सवाल ये उठता है कि आप अपने बच्चों को कौन सा पौष्टिक सप्लीमेंट दें जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास ठीक से हो सके। दोस्तों इसका सबसे कारगर सल्यूशन है वे लोग बीटा मल्टी न्यूट्रीशनल पाउडर।
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How To Approach
जी हां सेहत और स्वाद के बेजोड़ फॉर्मूले से बने वीटा मल्टी न्यूट्रिशनल पाउडर में मौजूद है। उच्च गुणवत्ता वाले वे प्रोटीन विटामिन मिनरल्स और दिमाग के लिए बेहद जरूरी तत्व दिए थे। प्रोटीन से जहां बच्चों को बने शारीरिक एवं मानसिक विकास करने और इम्यूनिटी स्ट्रांग करने में मदद मिलती है वहीं विटामिन्स और मिनरल्स बच्चों की ग्रोथ दिमागी शक्ति बढ़ाने में कारगर है।
इसमें मौजूद जो कि एक तरह का ओमेगा थ्री एसिड होता है नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाने और ब्रेन डेवलपमेंट का काम करता है। बच्चों के साथ बड़े भी बेफिक्र होकर इसका सेवन कर सकते हैं। इसका स्वाद बच्चों और बड़ों दोनों को बहुत भाता है। आप इसे एक ग्लास दूध या पानी में दो चम्मच 30 ग्राम मिलाकर ले सकते हैं। जरूरत के अनुसार आप चीनी या कोई और मीठी चीज भी इसमें मिला सकते हैं। अच्छे परिणाम के लिए दिन में एक बार अवश्य सेवन करें।
देर किस बात की आज और अभी से गेल को अपनाएं और प्रोटीन विटामिन्स मिनरल्स की कमी दूर कर अपने बच्चों को आने वाले कल का सबसे कामयाब सितारा बनाएं। हम ये भी सलाह देते हैं कि बच्चों के भोजन में पर्याप्त मात्रा में। ग्रेन सीरियल्स हरी और कलरफुल सब्जियां फल दूध ड्राय फ्रूट इत्यादि जरूर दें। न्यूट्रल गैल भी था। हेल्दी लाइफ का सुबह फॉर्म्युला।